RBI Policy Today : भारतीय रिजर्व बैंक की नई नीति, क्या रेपो रेट में होगा कोई बदलाव

RBI Policy Today : RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी यानी MPC की बैठक शुरू हो गई है अनुमान है यह लगातार 11वीं MPC मीटिंग होगी जब रेपो रेट समय दूसरी उधारी दरों में कोई बदलाव नहीं होगा जुलाई सितंबर तिमाही में विकास दर में आई भारी गिरावट के बावजूद ग्रोथ को रफ्तार देने के लिए RBI Policy Today के पास ऊंची महंगाई दर के चलते रेपो रेट घटाने की गुंजाइश नहीं है


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RBI Policy Today दिसंबर में नहीं घटेगी EMI

6 दिसंबर को MCP के फैसलों की जानकारी देते समय एक बार फिर RBI Policy Today गवर्नर आम जनता को EMI में राहत देने का ऐलान नहीं कर पाएंगे जानकारी का भी मानना है कि जुलाई सितंबर तिमाही के कमजोर GDP आंकड़ों के बीच बढ़ती महंगाई दर रेपो रेट से किसी बदलाव का मौका नहीं दे रही है दरअसल महंगाई दर के 6 फीसदी को ऊपर निकल जाने की वजह से रेपो रेट में कटौती की संभावना कम हो गई है

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महंगाई दर ने बढ़ाई मुश्किल

अक्टूबर में महंगाई दर RBI Policy Today के कंफर्ट जोन यानी 4 से 6 फीसदी की सीमा को छलांग कर 6.21% पर पहुंच गई ऐसे में RBI Policy Today ब्याज दर घटकर इसके कंट्रोल से बाहर जाने का जोखिम नहीं ले सकता है यही वजह है कि फरवरी 2023 से 6:50  परसेंट पर स्थिर रेपो रेट को इसी स्तर पर बरकरार रखा जा सकता है लेकिन ब्याज दरों के काम न होने से ग्रोथ की रफ्तार में तेजी लाना मुश्किल हो जाएगा


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भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फ़ीसदी रह गई

पिछले हफ्ते जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई सितंबर तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.4 फ़ीसदी रह गई है इससे पहले अप्रैल जून तिमाही में यह 6.7 पर्सेंट थी कृष्ण ने पीडीपी के विरोध को अनुमान को घटकर 6.8 फीसदी कर दिया है

 

देश की विकास दर में गिरावट 

जेपी मॉर्गन ने 6.4 परसेंट जीडीपी ग्रोथ का अनुमान बताया है हालांकि RBI Policy Today अक्टूबर के तीसरी तिमाही की शुरुआत में कुछ इंडिकेटर जैसे ऑटोमोबाइल सेल्स और निर्यात में सुधार दिखा है जिससे उम्मीद की जारी की दूसरी तिमाही की यह गिरावट अस्थाई हो सकती है वैसे भी कृषि क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और मजबूत मानसून से ग्रामीण इनकम में बढ़ोतरी की संभावना है 


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अस्थाई है विकास दर में गिरावट 

रवि फसल की अच्छी पैदावार से खाद महंगाई में भी कमी आने की उम्मीद है लेकिन RBI Policy Today शहरी खपत और निर्यात की मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई है आंकड़ों के मुताबिक निजी खपत में महक 6% का इजाफा हुआ 7.4 परसेंट से कम है इसके अलावा निर्यात में भी इस दौरान महत्व है फिलहाल जानकारी का मानना है कि आने वाले महीना में सरकारी खर्च ग्रामीण खपत और ग्लोबल सर्विस एक्सपोर्ट में सुधार से अर्थव्यवस्था को सहारा मिल सकता है

ऊंची ब्याज दरों का असर 

शहरी खपत और मर्चेंडाइज निर्यात में सुधार के लिए ठोस नीतिगत कदमों की जरूरत होगी आप इसके बारे में क्या सोचते हैं हमे कमेंट करके जरूर बताएं पोस्ट पसंद आया हो तो इसे लाइक करें शेयर करें

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